लोगों की राय

बी ए - एम ए >> बीए सेमेस्टर-2 राजनीति विज्ञान

बीए सेमेस्टर-2 राजनीति विज्ञान

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2023
पृष्ठ :160
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2724
आईएसबीएन :0

Like this Hindi book 0

बीए सेमेस्टर-2 राजनीति विज्ञान - सरल प्रश्नोत्तर

महत्त्वपूर्ण तथ्य

राजनीति विज्ञान में व्यवहारवादी उपागम को द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद प्रतिष्ठा मिली। व्यवहारवाद के आरम्भिक संकेत चार्ल्स ई मरियम की कृति न्यू आस्पैक्टस आफ पालिटिक्स जो 1925 में प्रकाशित हुई।

व्यवहारवाद ने राजनीति विज्ञान की पुरानी दार्शनिक, ऐतिहासिक और संस्थात्मक अध्ययन- विधियों के प्रति विद्रोह का शंखनाद किया।

व्यवहारवादी उपागम के मुख्य उन्नायक अमेरिकी राजनीति वैज्ञानिक राबर्ट ए डाल, डेविड ईस्टन और हाइज युलो है।

व्यवहारवाद में प्रतिरूपों, परिमापन की विधियों और कम्प्यूटरों का प्रयोग किया जाता है।

व्यवहारवाद में मनुष्यों के कार्यकलाप का निरीक्षण किया जाता है।

व्यवहारवाद समस्त सामाजिक विज्ञानों में एकता की तलाश करता है। व

्यवहारवाद में अनुभवमूलक सिद्धान्त का विकास हुआ।

डेविड ईस्टन के अनुसार व्यवहारवाद की मुख्य मान्यता-

राजनीतिक व्यवहार में ऐसी नियमितताएं विद्यमान होती है जिनका पता लगाया जा सकता है और जिन्हें सामान्य सिद्धान्तों के रूप में व्यक्त किया जा सकता है। कौन-सा साधन कितना उपयुक्त है इसकी सावधानीपूर्वक जाँच कर लेनी चाहिए। परिमापन और परिमाणन आवश्यक है।

यदि अनुसंधान सिद्धान्त से कटा होगा तो वह व्यर्थ होगा, यदि सिद्धान्त की पुष्टि आँकड़ों से नहीं होगी तो वह निरर्थक सिद्ध होगा।

व्यवहारवाद ने राजनीति विज्ञान को वैज्ञानिक, वस्तुपरक प्रक्षेणांत्मक परिचालनीय, परिमेयीय तथा मूल्य-स्वतंत्र बनाया है।

व्यवहारवाद के बौद्धिक जनक चार्ल्स मरियम थे।

व्यवहारवाद अर्न्तविषयक अध्ययन पद्धति पर बल देता है।

व्यवहारवाद के 8 बौद्धिक आधारशिला

1. सत्यापन
2. नियमितताएँ
3. तकनीक
4. परिमाणीकरण
5. मूल्य मुक्तता
6. व्यवस्थापन
7. विशुद्ध विज्ञान
8. सामाजिक विज्ञान का एकीकरण

उत्तर व्यवहारवाद

डेविड ईस्टन ने व्यवहारवाद की तत्कालीन प्रवृत्तियों पर प्रबल प्रहार किया हालांकि व्यवहारवाद के विकास में स्वयं ईस्टन की महत्वपूर्ण भूमिका थी।

सि0 1969 में न्यूयार्क में अमेरिकन पालिटिकल साइंस एसोसिएशन के 65वें अधिवेशन में ईस्टन ने तत्कालीन राजनीतिक अनुसंधान की स्थिति पर गहरा असन्तोष व्यक्त किया जिसमें राजनीति के अध्ययन को कठोर वैज्ञानिक अनुशासन में ढालने की कोशिश की जा रही थी।

उत्तरव्यवहारवाद ने व्यवहारवाद की तीव्र आलोचना अवश्य की परन्तु उसने परम्परावाद को फिर.- से स्थापित करने का समर्थन नहीं किया।

उत्तरव्यवहारवाद न तो प्रतिक्रिया का सूचक था, न प्रति क्रांति का, इसने केवल सुधार की माँग  की।

उत्तरव्यवहारवाद की दो मुख्य मांगे थी

(1) प्रासंगिकता और
(2) कार्यवाई।

उत्तर व्यवहारवाद की प्रमुख मान्यता (7 तत्व )

1. 'राजनीतिक अनुसंधान में तकनीक का उतना महत्व नहीं जितना सारतत्व का है।
2. राजनीति विज्ञान को सामाजिक परिवर्तन की ओर ध्यान देना चाहिए और तथ्यों को विस्तृत सामाजिक संदर्भ के साथ जोड़कर देखना चाहिए।
3. राजनीति विज्ञान को संकट, संघर्ष और चिंता से उबरने की तरकीब निकालना चाहिए।
4. मूल्यों को फिर से राजनीति विज्ञान के हृदय में स्थान देना होगा।
5. मानव मूल्यों की रक्षा करना उसका विशेष दायित्व है।
6. समकालीन समाज में इतने तीव्र वैचारिक मतभेद पाये जाते हैं कि राजनीति विज्ञान को चिंतन की लक्ष्मण रेखा पार करके ठोस कार्य के मैदान में उतर आना चाहिए।
7. बुद्धिजीवियों को सकारात्मक भूमिका निभानी चाहिए।

व्यवहारवादी जहाँ शुद्ध ज्ञान (Pure Knowledge) को मानते थे वही उत्तरव्यवहारवादी अनुप्रयुक्त (Applied Knowledge) पर ध्यान देते हैं।

व्यवहारवाद मूल्यनिरपेक्षता को, तो वही उत्तरव्यवहार मूल्यों से सरोकार रखता है।

व्यवहारवादी यथास्थिति के समर्थक है अतः इसे सामाजिक परिवर्तन में कोई अभिरूचि नहीं है। वही उत्तरव्यवहारवादी सामाजिक समस्याओं के प्रति अत्यंत सजग है और उनके समाधान के लिए सामाजिक परिवर्तन की मांग करते है।

संप्रेक्षण सिद्धान्त की नींव कार्ल ड्यूश ने अपनी प्रसिद्ध पुस्तक 'द नर्स ऑफ गवर्नमेण्ट- मॉडल्स ऑफ पॉलिटिकल कम्युनिकेशन एण्ड कंट्रोल' में किया।

अमरीकी राजनीति- वैज्ञानिक डेविड ईस्टन ने 1953 में अपनी प्रसिद्ध कृति 'पॉलिटिकल सिस्टम एन इंक्वायरी इ टू द स्टेट ऑफ पालिटिकल साइंस में प्रणाली सिद्धान्त का आधार रखा।

अमरीकी राजनीति वैज्ञानिक गेब्रियल ऑल्मंड ने ईस्टन के आगत-निर्गत विश्लेषण को अधूरा मानते हुए 1960 में द पॉलिटिकल ऑफ द डिवेलपिंग एरियाज के अन्तर्गत यह तर्क दिया कि आगत और निर्गत तत्व वस्तुतः राजनीति प्रणाली के कृत्य है।

ग्रेब्रियल ए. ऑल्मेड और जी0बी0 पॉवल की चर्चित कृति "कंपरेटिव पॉलिटिक्स-ए डिवेलपमेंटल एप्रोच' (1966) में संरचनात्मक - प्रकार्यात्मक सिद्धान्त का प्रतिपादन किया।

...Prev | Next...

<< पिछला पृष्ठ प्रथम पृष्ठ अगला पृष्ठ >>

    अनुक्रम

  1. अध्याय -1 राजनीति विज्ञान : परिभाषा, प्रकृति एवं क्षेत्र
  2. महत्त्वपूर्ण तथ्य
  3. वस्तुनिष्ठ प्रश्न
  4. उत्तरमाला
  5. अध्याय - 2 राजनीतिक विज्ञान की अध्ययन की विधियाँ
  6. महत्त्वपूर्ण तथ्य
  7. वस्तुनिष्ठ प्रश्न
  8. उत्तरमाला
  9. अध्याय - 3 राजनीति विज्ञान का अन्य सामाजिक विज्ञानों से संबंध
  10. महत्त्वपूर्ण तथ्य
  11. वस्तुनिष्ठ प्रश्न
  12. उत्तरमाला
  13. अध्याय - 4 राजनीतिक विज्ञान के अध्ययन के उपागम
  14. महत्त्वपूर्ण तथ्य
  15. वस्तुनिष्ठ प्रश्न
  16. उत्तरमाला
  17. अध्याय - 5 आधुनिक दृष्टिकोण : व्यवहारवाद एवं उत्तर-व्यवहारवाद
  18. महत्त्वपूर्ण तथ्य
  19. वस्तुनिष्ठ प्रश्न
  20. उत्तरमाला
  21. अध्याय - 6 आधुनिकतावाद एवं उत्तर-आधुनिकतावाद
  22. महत्त्वपूर्ण तथ्य
  23. वस्तुनिष्ठ प्रश्न
  24. उत्तरमाला
  25. अध्याय - 7 राज्य : प्रकृति, तत्व एवं उत्पत्ति के सिद्धांत
  26. महत्त्वपूर्ण तथ्य
  27. वस्तुनिष्ठ प्रश्न
  28. उत्तरमाला
  29. अध्याय - 8 राज्य के सिद्धान्त
  30. महत्त्वपूर्ण तथ्य
  31. वस्तुनिष्ठ प्रश्न
  32. उत्तरमाला
  33. अध्याय - 9 सम्प्रभुता : अद्वैतवाद व बहुलवाद
  34. महत्त्वपूर्ण तथ्य
  35. वस्तुनिष्ठ प्रश्न
  36. उत्तरमाला
  37. अध्याय - 10 कानून : परिभाषा, स्रोत एवं वर्गीकरण
  38. महत्त्वपूर्ण तथ्य
  39. वस्तुनिष्ठ प्रश्न
  40. उत्तरमाला
  41. अध्याय - 11 दण्ड
  42. महत्त्वपूर्ण तथ्य
  43. वस्तुनिष्ठ प्रश्न
  44. उत्तरमाला
  45. अध्याय - 12 स्वतंत्रता
  46. महत्त्वपूर्ण तथ्य
  47. वस्तुनिष्ठ प्रश्न
  48. उत्तरमाला
  49. अध्याय - 13 समानता
  50. महत्त्वपूर्ण तथ्य
  51. वस्तुनिष्ठ प्रश्न
  52. उत्तरमाला
  53. अध्याय - 14 न्याय
  54. महत्त्वपूर्ण तथ्य
  55. वस्तुनिष्ठ प्रश्न
  56. उत्तरमाला
  57. अध्याय - 15 शक्ति, प्रभाव, सत्ता तथा वैधता या औचित्यपूर्णता
  58. महत्त्वपूर्ण तथ्य
  59. वस्तुनिष्ठ प्रश्न
  60. उत्तरमाला
  61. अध्याय - 16 अधिकार एवं कर्त्तव्य
  62. महत्त्वपूर्ण तथ्य
  63. वस्तुनिष्ठ प्रश्न
  64. उत्तरमाला
  65. अध्याय - 17 राजनीतिक संस्कृति, राजनीतिक सहभागिता, राजनीतिक विकास एवं राजनीतिक आधुनिकीकरण
  66. महत्त्वपूर्ण तथ्य
  67. वस्तुनिष्ठ प्रश्न
  68. उत्तरमाला
  69. अध्याय - 18 उपनिवेशवाद एवं नव-उपनिवेशवाद
  70. महत्त्वपूर्ण तथ्य
  71. वस्तुनिष्ठ प्रश्न
  72. उत्तरमाला
  73. अध्याय - 19 राष्ट्रवाद व सांस्कृतिक राष्ट्रवाद
  74. महत्त्वपूर्ण तथ्य
  75. वस्तुनिष्ठ प्रश्न
  76. उत्तरमाला
  77. अध्याय - 20 वैश्वीकरण
  78. महत्त्वपूर्ण तथ्य
  79. वस्तुनिष्ठ प्रश्न
  80. उत्तरमाला
  81. अध्याय - 21 मानवाधिकार
  82. महत्त्वपूर्ण तथ्य
  83. वस्तुनिष्ठ प्रश्न
  84. उत्तरमाला
  85. अध्याय - 22 नारीवाद
  86. महत्त्वपूर्ण तथ्य
  87. वस्तुनिष्ठ प्रश्न
  88. उत्तरमाला
  89. अध्याय - 23 संसदीय प्रणाली
  90. महत्त्वपूर्ण तथ्य
  91. वस्तुनिष्ठ प्रश्न
  92. उत्तरमाला
  93. अध्याय - 24 राष्ट्रपति प्रणाली
  94. महत्त्वपूर्ण तथ्य
  95. वस्तुनिष्ठ प्रश्न
  96. उत्तरमाला
  97. अध्याय - 25 संघीय एवं एकात्मक प्रणाली
  98. महत्त्वपूर्ण तथ्य
  99. वस्तुनिष्ठ प्रश्न
  100. उत्तरमाला
  101. अध्याय - 26 राजनीतिक दल
  102. महत्त्वपूर्ण तथ्य
  103. वस्तुनिष्ठ प्रश्न
  104. उत्तरमाला
  105. अध्याय - 27 दबाव समूह
  106. महत्त्वपूर्ण तथ्य
  107. वस्तुनिष्ठ प्रश्न
  108. उत्तरमाला
  109. अध्याय - 28 सरकार के अंग : कार्यपालिका, विधायिका एवं न्यायपालिका
  110. महत्त्वपूर्ण तथ्य
  111. वस्तुनिष्ठ प्रश्न
  112. उत्तरमाला
  113. अध्याय - 29 संविधान, संविधानवाद, लोकतन्त्र एवं अधिनायकवाद .
  114. महत्त्वपूर्ण तथ्य
  115. वस्तुनिष्ठ प्रश्न
  116. उत्तरमाला
  117. अध्याय - 30 लोकमत एवं सामाजिक न्याय
  118. महत्त्वपूर्ण तथ्य
  119. वस्तुनिष्ठ प्रश्न
  120. उत्तरमाला
  121. अध्याय - 31 धर्मनिरपेक्षता एवं विकेन्द्रीकरण
  122. महत्त्वपूर्ण तथ्य
  123. वस्तुनिष्ठ प्रश्न
  124. उत्तरमाला
  125. अध्याय - 32 प्रतिनिधित्व के सिद्धान्त
  126. महत्त्वपूर्ण तथ्य
  127. वस्तुनिष्ठ प्रश्न
  128. उत्तरमाला

अन्य पुस्तकें

लोगों की राय

Shankar  Rana

Books kaise mga shkte hai b.a m.a political science

Shankar  Rana

Books kaise mga shkte hai b.a m.a political science